Wednesday, June 15, 2011

इंतेजार और सही !!!

जाने कौन है अपना , कौन पराया,
मेरे जीवन में वैसा कोई ना aaया ।

जिसकी आश थी मन में आश ही रही,
जो दिया किस्मत ने गलत या सही।

बदलना भाग्य को होता नहीं आसान,
मन में थी आशा छू लेंगे आसमान।

इच्हायें अधूरी , आशाएं अधूरे,
आँखों के सपने हो न सके पुरे।

'पर' अभी भी जीवंत है इन धडकनों में आस,
दूर होता रहा ल्क्षय बड़ती गयी प्यास।

धडकनों ने इस कदर दिल पे हैकाबू किया,
धड़क धड़क के ऐसे लब्ज कह रहा मेरा जिया।

आ रहा है धीरे धीरे पल वो भी मद भरा,
जिसकी आस में तू प्यासा ही जिया किया।

आ रहा है 'वैसा' कोई तेरे रस्ते में कहीं,
उस प्यारे पल की खातिर 'थोडा इंतजार और सही' ।